हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह अली रजा आराफ़ी ने इस्फ़हान प्रांत में वली-फ़कीह के प्रतिनिधि से मुलाकात के दौरान मदरसा इल्मीया की स्थापना की शताबदी मनाने की बात की। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर एक भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा और आयतुल्लाह नाऐनी की श्रद्धांजलि कार्यक्रम भी अगले साल आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही, आयतुल्लाह नाएनी पर 42 किताबें तैयार की जा चुकी हैं।
आयतुल्ला आराफ़ी ने इस्फ़हान के मदरसों के ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया और कहा कि हाल के वर्षों में इस्फ़हान में मदरसा इल्मीया के पुनर्निर्माण के लिए बेहतरीन कदम उठाए गए हैं। उन्होंने इस्फ़हान को 11वीं और 12वीं शताब्दी में मदरसा इल्मीया के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना, साथ ही वर्तमान में भी इस्फ़हान के पास प्रगति और उन्नति की क्षमता है।
उन्होंने देश भर के मदरसों के बीच किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ अपनी राय जाहिर की और कहा कि सभी मदरसा एक ही हैं, चाहे वे क़ुम में हों या अन्य प्रांतों में। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी योजनाओं में मदरसा विद्यार्थियों और धर्मगुरुओं के लिए विभिन्न सेवाएं प्रदान की जाएंगी, जिनमें शिक्षक, शोधकर्ता, विद्यार्थी और प्रचारक शामिल हैं।
हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के प्रमुख आयतुल्ला आराफ़ी ने विशेष रूप से प्रचारकों की स्थिति पर चिंता जताई और बताया कि देश में प्रचारक के रूप में विशेष रूप से नियुक्त व्यक्ति की कमी है। इस समस्या का समाधान करने के लिए 15 योजनाएं बनाई गई हैं। इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय के साथ साझी योजनाओं की जानकारी दी, जिनका उद्देश्य शिक्षा और प्रशिक्षण के समन्वय को बढ़ाना है।
अंत मे उन्होंने लक्ष्यपूर्ण स्थायित्व की योजना के बारे में बताया, जिसमें मदरसा विद्यार्थियों और धर्मगुरुओं के लिए लंबी अवधि तक शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
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